Thursday, October 28, 2010

Perfect Kneader

My mind hungrily needs words.
My soul angrily bleeds words.
The Perfect Kneader like a
jeweller merrily kneads words!

- Max

अचानक बरसती है ज़िन्दगी

समेटे नहीं सिमटती है ज़िन्दगी, बिखेरे नहीं बिखरती है ज़िन्दगी|
अगर बदगुमानी पे उतर आए कभी तो, सँवारे नहीं सँवरती है ज़िन्दगी|

रिश्तों पे उठ आएँ बेबाक बवन्डर, तो गुज़ारे नहीं गुज़रती है ज़िन्दगी|
ज़ीस्त की हरियाली होते ही ख़त्म, मशक़्क़त के सहरा ढाते हैं सितम,
ख़ुशियों के फ़व्वारे क्यों न उभर आएँ, फिर भी मुँह फेरकर किलसती है ज़िन्दगी|

मुख़्तलिफ़ हालात की ज़िद्दी सोहबत से फैल जाए सूखापन,
बीच परेशानियों के भी यूँह ही अचानक बरसती है ज़िन्दगी|

- मुश्ताक़

न समझा है न समझेगा

न समझा है न समझेगा यह ज़ालिम-ओ-क़ातिल ज़माना,
सर पटकने के माहिर हैं हम, और पटकने से क्या पाना,
ग़म ओ खुशी चले आते हैं मुसलसल उम्रभर,
जज़्बात भरते हैं आप-ओ-आप, लगे न कोई बहाना,
दिल को जबसे बना रखा है है कारवाँसराई हमने,
बस यूँ ही चलता रहा लोगों का आना जाना|

- मुश्ताक़

ज़िन्दगी

वक़्त से पहले और नसीब से ज़्यादा किसी को कुछ नहीं मिलता|
ज़िन्दगी वह नहीं है जो हम सोचते हैं, ज़िन्दगी वह है जो हम जीते हैं|

- अज्ञात

Signal

A lady broke a signal and was presented in front of the inspector.

Lady: Mister, please let me go. I am a school teacher, I am getting late for my class.
Inspector: Aahaa, so you are a teacher. I have waited for this moment all my life. Take a notebook and write down I WILL NEVER BREAK A TRAFFIC SIGNAL 500 times.

ख़ामोशी की रेत में

ख़ामोशी की रेत में खिला गुलाब हो तुम, समा बान्ध लेती हो,
मेरी शख़्सियत दो बून्द जज़्बे ना टपकने से सुकड़ जाती है

मुश्ताक़

Wednesday, October 27, 2010

Love and Madness

Once all feelings decided to play hide and seek. Madness started counting and the others went and hid. Lie hid behind a tree. Love hid in a rose bush. Everyone was caught except Love. But someone told Madness about Love. Love lost both his eyes due to the thorns. God then cursed Madness to be around Love forever. Since then, Love is blind and Madness always accompanies it!

फूक है, चान्द है, क्या लगता है,

फूक है, चान्द है, क्या लगता है,
भीड में सबसे जुदा लगता है|

उसकी कुरबत में अजब दूरी है,
आदमी हो के ख़ुदा लगता है|

उसके होंठों से में अब क्या माँगूँ,
जो भी कहता है दु'आ लगता है|

शोर है दिल में कुछ इतना रशीद,
मुझको सन्नाटा सदा लगता है|

- अज्ञात

हम दो एक छाता

हम दो एक छाता
हाथों में हाथ लिए हुए
बरसता नीम

- आशिक़ा 'तन्हा'

निगाहों मे‍ वह...

निगाहों मे‍ वह हैरानी नहीं है,
नये बच्चों में वह नादानी नहीं है|

डा. राजेश रेड्डी

हमने देखे हैं

हमने देखे हैं कई ऐसे ख़ुदाओं को यहाँ,
सामने जिसके वह सचमुच का ख़ुदा कुछ भी नहीं

डा. राजेश रेड्डी

कानों को झूठ सुनाने...

कानों को झूठ सुनाने की आदत है इस कदर,
सच कहे के चौंक जाता हूँ अपनी ज़ुबाँ से

- नीदा फ़ज़ली

Tuesday, October 26, 2010

यूँ अधूरापन बख़्शे चले जाना

यूँ अधूरापन बख़्शे चले जाना, मुश्किल रहा तो होगा,
दूर अकेलापन, जश्न-ए-दोस्ताना, कुछ दिन खला तो होगा,
और तिलस्मी दुनिया तोड़नेवाला भी कोई दिलजला तो होगा,
हुस्न जोबन शबाब शरारत निगाहें मुस्कान - क्या कुछ नहीं
इन जादुई अस्बाब पर भी कोई मिट चला तो होगा,
तुम्हारे प्यार के फ़लक में परवाज़ का आदि है ज़माना,
लगते ही चोट दिल पे अचानक, कोई गिर पड़ा तो होगा|

- मुश्ताक़

It must've been tough to vanish
After gifting me with insatiation;
Far off, solitude and friendly revelry,
Must have pinched you;
And to break the magical trance
There must've been a spiteful villain too;
Beauty, youth, splendour, mischief, eyes, smiles
- nothing you lack;
Someone must've sacrificed himself
On this magical arsenal too;
The whole world is used soaring
in your love's skies;
With a sudden heartbreak,
Someone may have dropped down too.

- Max

बाँट रहे हो दुनिया भर से

बाँट रहे हो दुनिया भर से अपने ग़म,
पर ना जाने क्यों लगता है
सिर्फ़ हम ही से कह रहे हो,
जाने अनजाने में जो यह अपने
नसूर ज़ख़्म बेपरदाह कर रहे हो|
दर्द आपकी हक़ीक़त का
कुछ यूँ छू जाता है हमें,
लगता है जैसे जिस्म को जान से
मिला रहे हो|

- अश्लेशा

उनसे मिलने को...

उनसे मिलने को क्या कहियेगा जिगर,
ख़ुद से मिलने को तो ज़माना चाहिये.

जिगर मुरादाबादी

Sunday, October 24, 2010

क्या बात है

कित्बोंआ के पन्ने पलटकर सोचता हूँ,
यूँ पलट जाए ज़िन्दगी तो क्या बात है,
तमन्ना जो पूरी हो ख़्वाबों में,
हक़ीक़त बन जाए तो क्या बात है,
लोग मतलब के लिए ढूँढते हैं मुझे,
बिन मतलब कोई आए तो क्या बात है,
क़त्ल करके तो कोई भी ले जाएगा दिल मेरा,
कोई बातों से ले जाए तो क्या बात है,
जो शरीफ़ों की शराफ़त में बात ना हो,
एक शराबी कह जाए तो क्या बात है,
ज़िन्दा रहने तक तो ख़ुशी दूँगा सबको,
किसी को मेरी मौत पे ख़ुशी मिल जाए
तो क्या बात है!

- अज्ञात

Sunday, October 17, 2010

Seedhe he sidhe chale agar hum

Seedhe he sidhe chale agar hum,
ulta-seedha kuchh hi nahi kiya,
plastic ki nali-se seedhe rahe,
vaisa jiya bhi to bhala kya jiya!

- Max